पानीपत -रविवार को भगवान जगन्नाथ मंदिर पानीपत के प्रांगण में सामाजिक समरसता मंच के बैनर तले महर्षि वाल्मीकि प्रगट उत्सव के उपलक्ष्य में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रुप अशोक नागपाल चेयरमेन प्रबंधक कमेटी आई बी काॅलेज मौजूद रहे। इस विचार गोष्ठी की अध्यक्षता सूबेदार राम मेहर सिंह व विशिष्ट अतिथि के रुप में योगेंद्र आर्य एवम् जिला संयोजक संजय भारद्वाज उपस्थित रहे। सर्वप्रथम प. शिव नारायण जी ने वाल्मीकि कृत रामायण का संस्कृत से हिन्दी मे अनुवाद कर बहुत सुन्दर व्याख्यान प्रस्तुत किया।
अशोक नागपाल ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने सामाजिक समरसता का अनूठा संदेश भारत भूमि को दिया है। भारत भूमि कृतज्ञ है कि महर्षि जी ने महाकाव्य रामायण हमे दिया। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि को एक विशेष जाति वर्ग में नहीं बांधा जा सकता। उन्होंने र्सव समाज के कल्याण के निमित महाकाव्य रामायण की रचना की थी । रामायण के माध्यम से उन्होंने सामाजिक आचार विचार रूपी मार्गदर्शन हमें दिया। महर्षि वाल्मीकि जी की शिक्षाओं पर चलकर समाज को सुदृढ़ कर सकते हैं।
जब तक हम नीची ऊंची जाति की दीवारों को तोड़ कर आगे नही आएंगे तब तक एक समाज एक राष्ट्र का निर्माण नही कर सकते हैं। इस अवसर पर प्राण रत्नाकर, सत्यवान , पुष्पेन्द्र शर्मा, बसंत बोहत, शिवचरण भुम्बक, गुलशन खैरालिया, रविन्द्र एडवोकेट, शबनम तषाम, जंग बहादुर भाटिया, मीना शर्मा, अक्ष्य गहलोत इत्यादि उपस्थित रहे।
अशोक नागपाल ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने सामाजिक समरसता का अनूठा संदेश भारत भूमि को दिया है। भारत भूमि कृतज्ञ है कि महर्षि जी ने महाकाव्य रामायण हमे दिया। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि को एक विशेष जाति वर्ग में नहीं बांधा जा सकता। उन्होंने र्सव समाज के कल्याण के निमित महाकाव्य रामायण की रचना की थी । रामायण के माध्यम से उन्होंने सामाजिक आचार विचार रूपी मार्गदर्शन हमें दिया। महर्षि वाल्मीकि जी की शिक्षाओं पर चलकर समाज को सुदृढ़ कर सकते हैं।
जब तक हम नीची ऊंची जाति की दीवारों को तोड़ कर आगे नही आएंगे तब तक एक समाज एक राष्ट्र का निर्माण नही कर सकते हैं। इस अवसर पर प्राण रत्नाकर, सत्यवान , पुष्पेन्द्र शर्मा, बसंत बोहत, शिवचरण भुम्बक, गुलशन खैरालिया, रविन्द्र एडवोकेट, शबनम तषाम, जंग बहादुर भाटिया, मीना शर्मा, अक्ष्य गहलोत इत्यादि उपस्थित रहे।
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शानदार रिपोर्टिंग के लिए साधुवाद
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