लॉरेंस बिश्नोई के खास सिपहसालार पैरी की चंडीगढ़ में गोली मारकर हत्या, जेल में भी उसे मारने की आशंका जताई जा रही थी
जगदीप शर्मा
चंडीगढ़, 1 दिसंबर। गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के करीबी साथी इंद्रप्रीत सिंह उर्फ पैरी (30) की रविवार देर रात सेक्टर-26 की टिंबर मार्केट में अंदर पांच गोलियां मारकर हत्या कर दी गई। हमलावरों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की और मौके से फरार हो गए। पैरी पर पहले भी कई आपराधिक मामले दर्ज थे और वह चंडीगढ़ पुलिस की हिट लिस्ट में था।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि पैरी को खुद को खतरा था, उसने कोर्ट में अर्जी भी लगाई थी कि जेल में उसकी हत्या हो सकती है, लेकिन न तो पुलिस ने उसकी सुरक्षा का इंतजाम किया और न ही जेल प्रशासन ने कोई खास कदम उठाया। आखिरकार वही हुआ जिसका उसे डर था – बाहर आते ही उसकी हत्या कर दी गई।
जेल में भी थी पैरी को जान का खतरा
खबरों के मुताबिक जब चंडीगढ़ पुलिस ने पैरी को कुछ दिन पहले गिरफ्तार किया था, तब उसने कोर्ट में आवेदन दिया था कि जेल में लॉरेंस बिश्नोई गैंग के दुश्मन गुट उसे मार सकते हैं। पैरी ने कहा था कि उसे अलग बैरक या अलग जेल में रखा जाए। कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिए थे कि पैरी की सुरक्षा का ध्यान रखा जाए, लेकिन पुलिस ने उसे सामान्य बैरक में ही रखा। आखिरकार कुछ दिन पहले ही उसे जमानत मिली और रविवार रात बाहर आते ही हमलावरों ने उसे मौत के घाट उतार दिया।
कैसे हुई हत्या?
पुलिस के शुरुआती जांच के अनुसार रविवार रात करीब 11:30 बजे पैरी अपने दोस्तों के साथ सेक्टर-26 ग्रेन मार्केट के पास खड़ा था। तभी दो-तीन हमलावर आए और उनमें से एक ने पैरी पर ताबड़तोड़ 5–6 राउंड फायरिंग कर दी। गोली पैरी के सीने और सिर में लगी, मौके पर ही उसकी मौत हो गई। हमलावर स्कूटी पर आए थे और फायरिंग के बाद उसी स्कूटी पर फरार हो गए।हमले के बाद चंडीगढ़ पुलिस की सारी पुलिस टीम मौके पर पहुंची। सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं, लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस का दावा है कि जल्द ही हमलावरों को पकड़ लिया जाएगा, पर शहरवासी पूछ रहे हैं – जिस आदमी को खुद को खतरा था, जिसने कोर्ट में लिखित शिकायत की थी, उसकी सुरक्षा क्यों नहीं की गई?
शहर में डर का माहौल
पिछले कुछ महीनों में चंडीगढ़ में गैंगस्टरों की आपसी रंजिश में कई वारदातें हो चुकी हैं। खुलेआम गोलीबारी, दिनदहाड़े हत्या और पुलिस की नाक के नीचे अपराधियों का मनमाना खेल – यह सब देखकर आम नागरिक में डर बैठ गया है। लोग कह रहे हैं, ट्रैफिक तो पहले से ही लचर है, अब तो लगता है कानून-व्यवस्था भी भगवान भरोसे रह गई है।फिलहाल पुलिस ऊपरी तौर पर “गैंगवार” का थ्योरी बता रही है, लेकिन असल सवाल यह है कि जब अपराधी कोर्ट में चीख-चीख कर कह रहा था कि उसे मार दिया जाएगा, तब पुलिस और जेल प्रशासन ने उसकी एक न सुनी।आखिर कब तक शहर इस तरह खुलेआम गैंगवार का अखाड़ा बनता रहेगा?


0 Comments