हर माह करोड़ों की कटौती, फिर भी कर्मचारी इलाज के लिए तरसे, घोटाले की जांच शुरू
पानीपत- जिले के करीब एक लाख कर्मचारियों के वेतन से हर माह करोड़ों रुपये ईएसआई (कर्मचारी राज्य बीमा) योजना में कटते हैं, लेकिन बदले में उन्हें न समुचित इलाज मिल रहा है और न ही मेडिकल सुविधाएं। पानीपत का ईएसआई अस्पताल में डॉक्टर तथा बीमारी की जांचों के लिए लैब होने के बावजूद मरीजों को मामूली इलाज के लिए निजी अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है।
मरीजों का यह भी आरोप है कि रेफरल के बाद निजी अस्पतालों में उन्हें सम्मानजनक इलाज नहीं मिलता। कई बार टेस्ट और दवाइयों के पैसे भी खुद ही देने पड़ते हैं। जब कर्मचारी वेतन से प्रीमियम दे रहे हैं तो उन्हें जेब से पैसे क्यों खर्च करने पड़ रहे हैं? क्लेम करने पर भी उन्हें पूरा भुगतान नहीं मिलता क्योंकि निजी अस्पतालों के रेट अधिक होते हैं, जबकि ईएसआई सरकारी दरों पर ही भुगतान करता है।
इस बीच, रेफरल घोटाले का मामला तूल पकड़ रहा है। विधायक प्रमोद विज ने 11 मार्च को विधानसभा में यह मुद्दा उठाया, जिसके बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मामले की विजिलेंस जांच के आदेश दिए।
सूत्रों का दावा है कि यह खेल सिर्फ डॉक्टरों तक सीमित नहीं है। ईएसआई के कुछ गैर-चिकित्सीय कर्मचारी वर्षों से पानीपत में जमे हुए हैं और निजी अस्पतालों के साथ मिलीभगत कर रेफर और बिल पासिंग का फर्जीवाड़ा चला रहे हैं। छोटे अस्पताल इन कर्मचारियों को मोटा कमीशन देते हैं और इनके बिल प्राथमिकता से पास होते हैं। यही कारण रहा की पानीपत के बड़े अस्पतालों के पास ईएसआई से रेफर मरीजों की घटती संख्या तथा पेमेंट में देरी के चलते नाराज होकर उन्होंने इसकी शिकायत शहरी विधायक प्रमोद विज से की तथा उन्होंने इस मसले को विधानसभा में उठा दिया।
पूर्व मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. बबीता को इसी घोटाले के चलते निलंबित किया गया है, हालांकि बात करने पर,उन्होंने आरोपों को नकारते हुए कहा कि उन्हें निलंबन का अभी कोई आदेश नहीं मिला है, यह केवल दुष्प्रचार किया जा रहा है। सच्चाई यह है की उनके कार्यकाल में रेफरल केस कम हुए हैं और बिल जांच के बाद ही पास किए गए हैं।
अब यह मामला विजिलेंस के पास है और सूत्रों की मानें तो जल्द ही कई लोकल कर्मचारियों पर गाज गिर सकती है। कर्मचारी संगठनों ने सरकार से पारदर्शिता, स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की नियुक्ति और बिल प्रणाली में सुधार की मांग की है।
प्रश्न यह है कि क्या ईएसआई की प्रणाली सुधरेगी या यह घोटाले यूं ही जारी रहेंगे?
सरकार की कार्रवाई और जांच के नतीजे अब सभी की नजर में हैं।
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